1. जातिवाद के इसी सामूहिक मनोविज्ञान पर केंद्रित है नया उपन्यास ' घुळगांठ'. 2. जातिवाद के इसी सामूहिक मनोविज्ञान पर केंद्रित है नया उपन्यास ' घुळगांठ'.-भरत 3. मनुष्य के सामूहिक मनोविज्ञान के स्थान पर व्यक्तिगत मनोविज्ञान को महत्त्व दिया था । 4. मनुष्य के सामूहिक मनोविज्ञान के स्थान पर व्यक्तिगत मनोविज्ञान को महत्त्व दिया था । 5. जातिवाद के इसी सामूहिक मनोविज्ञान पर केंद्रित है नया उपन् यास ‘ घुळगांठ '.-भरत 6. उपन्यास के अग्रलेख में मालचंद तिवाड़ी ने लिखा है कि यह उपन्यास सामूहिक मनोविज्ञान की गहरी झड़ों पर रोशनी डालता है. 7. जरा 30 मार्च के पूर्व देश के सामूहिक मनोविज्ञान को याद करिए और 2 अप्रैल की अर्धरात्रि के माहौल से तुलना करिए। 8. उपन् यास के अग्रलेख में माल चंद तिवाड़ी ने लिखा है कि यह उपन् यास सामूहिक मनोविज्ञान की गहरी झड़ों पर रोशनी डालता है. 9. थार ही नहीं तो कम से कम उत्तर भारतीय समाज के सामूहिक मनोविज्ञान या जातिगत आधारित कुंठाओं को जानने का एक बेहद सरल और अद्भुत उपन्यास. 10. लोग यों ही नहीं फेंकते नेताओं पर जूते-चप्पल. आप भले ही उन्हें पागल कह दें, लेकिन वे भी हमारे ही सामूहिक मनोविज्ञान का प्रतिनिधित्व करते हैं.